वैसे तो ब्रह्मांड में भगवान श्री हरि के अतिरिक्त अन्य कोई साधना और भक्ति देने के योग्य नहीं है, लेकिन अन्य सभी देवी देवता, भगवान श्रीमन्नारायण के अंग देवता हैं, अर्थात, उनकी अनुकूलता प्राप्त करने से भगवान श्री हरि के चरण कमलों की प्राप्ति जीव को शीघ्र ही हो जाती है
यदि आपका जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ है, तो आप नीचे दिए गए क्रम से अंग देवताओं की साधना सम्पन्न करें, और फिर आजीवन श्री हरि की साधना करें | साथ ही कृपा प्राप्ति के लिए किसी एक महाविद्या, और एक परा शक्ति को सिद्ध करने का प्रयास करें
यदि आपका जन्म ब्राह्मण से इतर कुल में हुआ है, तो आपको मात्र अपने गुरु मंत्र और इष्ट मंत्र की “उपासना” एक सत्त्व परंपरा में बताए गए पद्धति के अनुसार करना चाहिए| ब्राह्मण पिता से जिस जीव का जन्म न हुआ हो, वह यदि साधना करता है तो वह पिशाच लोक की योनियों को प्राप्त होता है, यह पारलौकिक नियम है | जितने मात्रा में हम पारलौकिक ऊर्जा के लिए अपने पूर्व जन्म कर्मों से अधिकृत हैं, उतनी मात्रा में इस जन्म में ऊर्जा को ग्रहण करना चाहिए, और बाकी की अपनी उपासना साधना को पूर्ण करने के लिए अपने ईष्ट से सतत प्रार्थना करनी चाहिए कि आगे के जन्मों में वह ऐसा अवसर आपको प्रदान करें
ब्राह्मण पुत्रों को अपना कल्याण करने, माया में सनातन धर्म को बुलंद करने और मोक्ष प्राप्ति के लिए निम्न क्रम से साधना करनी चाहिए | हर मंत्र का पुरश्चरण सवा लाख मंत्र का होता है, और बीज मंत्रों का 21 लाख, 32 लाख, 48 लाख या 96 लाख जाप एक जीवन काल में करने का प्रयास करना चाहिए | बीज मंत्रों का प्रथम अनुष्ठान सवा लाख या 4 लाख मंत्रों का करें, और फिर समय समय पर अपने जीव में विद्यमान उस ऊर्जा को जागृत करने के लिए अनुष्ठान करते रहना चाहिए
यहाँ न्यूनतम साधना बताई जा रही है, इससे कम करने पर जीव का यह पंचभौतिक शरीर किसी भी शक्ति के प्रत्यक्षीकरण के लिए तैयार नहीं होता है |
यदि गुरु दीक्षा प्राप्त नहीं हुई है, तो सब पुरश्चरण और धार्मिक कर्म निष्फल सिद्ध होते हैं, यह पारलौकिक नियम है
1. गुरु मंत्र साधना : 11 पुरश्चरण
2. ईष्ट मंत्र साधना : 11 पुरश्चरण
3. ॐ नमः शिवाय मंत्र साधना : 1 पुरश्चरण
4. ॐ नमो नारायणाय मंत्र साधना : 1 पुरश्चरण
5. ह्रौं शिव बीज साधना : सवा लाख या 4 लाख बीज जाप का प्रथम पुरश्चरण : सभी परा शक्तियों को अपने जीव में जागृत करने के लिए
6. ह्रं अग्नि बीज साधना : सवा लाख या 4 लाख बीज जाप का प्रथम पुरश्चरण : अग्नि को सिद्ध करने के लिए जिससे देवता आपके द्वारा दिए गए बलि और भोग को स्वीकार कर सकें
7. ह्रीं बीज साधना : सवा लाख या 4 लाख बीज जाप का प्रथम पुरश्चरण : देवी महामाया को प्रसन्न करने के लिए
8. क्लीं बीज साधना : सवा लाख या 4 लाख बीज जाप का प्रथम पुरश्चरण : देवी कामाख्या को प्रसन्न करने के लिए
9. श्रीं बीज साधना : सवा लाख या 4 लाख बीज जाप का प्रथम पुरश्चरण : साधना के मार्ग पर चलते ही जीव का उच्चाटन हो जाता है, जिससे वह माया में कोई धन अर्जित नहीं कर सकता है | ऐसे समय में माया में जीवित रहने के लिए देवी महालक्ष्मी की कृपा की सबसे अधिक आवश्यकता जीव को होती है
10. ॐ प्रणव साधना : सवा लाख या 4 लाख बीज जाप का प्रथम पुरश्चरण : प्रणव सिद्ध किए बिना आपके किसी भी मंत्र का जाप करने से उसमें कोई ऊर्जा नहीं रहती है, फिर आप सवा लाख जप करो या सवा करोड़, उसमें से कुछ प्राप्त नहीं होता है | इसलिए प्रणव सिद्धि आवश्यक है
11. गं बीज साधना : सवा लाख या 4 लाख बीज जाप का प्रथम पुरश्चरण – गणपति के बीज की साधना | सब प्रकार की सिद्धियाँ भगवान महा गणपति के अधीन हैं, उनकी पत्नी हैं | इसलिए सिद्धि देवी की कृपा प्राप्ति के लिए गं बीज के कम से कम 4 लाख जाप आवश्यक हैं
12. गणपति मंत्र : ॐ गं गणपतए नमः स्वाहा – सवा लाख जाप का पुरश्चरण : गणपति मंत्र पर सिद्धि प्राप्त करने के लिए होती है | इसके बाद होने वाली हर साधना में एक माला आपको इसी गणपति मंत्र की करनी है, और हवन में गुरु मंत्र, ईष्ट मंत्र के बाद इसी मंत्र से भगवान गणपति को आहुति देनी है
13. भ्रं भैरव बीज साधना : सवा लाख या 4 लाख बीज जाप का प्रथम पुरश्चरण : शरीर रक्षा और दिक बंधन के लिए भैरव नाथ को प्रसन्न करना जरूरी है, इसलिए उनके बीज की साधना करें
14. ॐ भ्रं भैरवाय नमः स्वाहा – सवा लाख जाप का पुरश्चरण : भैरव बाबा की अनुमति के बिना किसी भी प्रकार की परा शक्ति या देवी देवता जिस भी क्षेत्र में आप साधना कर रहे हैं, वहाँ प्रवेश नहीं कर सकती है | इसलिए भैरव बाबा की सिद्धि अति आवश्यक है | इसी मंत्र का एक माला प्रतिदिन अपनी हर साधना में आप गणेश मंत्र का जाप करने के बाद करेंगे |
15. ॐ रां रामाय नमः स्वाहा – राम मंत्र का सवा लाख जाप का पुरश्चरण