Bhairava Mantra Sadhana
Bhairava Upasana is very important upasana to get kripa of any other devta.
Bhairavas are the Kshetrapala, and their permission is needed, for any other devta to enter the Mandala you are currently in, and give you their kripa if you are a upasaka or siddhi if you are a sadhaka.
Kaal Bhairava and Batuka Bhairava upasana is mandatory for all Brahmin Balakas trying to further their spiritual journey.
Sadhanas are only for “Male” jeevas born from “Brahmin” father.
Other jeevas should not follow any method given here as Ashram, Dham or Mahaguru Ji do not take any responsibility of their safety.
Jeevas not born from a Brahmin father can do upasana, or can indulge in small seva to their Ishta after taking permission from their guru who must be born from a brahmin father.
No Sadhana should be done without a Guru, as sadhanas can end Maya of a jeeva if not done correctly.
Sadhana Procedure
This Page is dedicated to Navgrah Sadhana
Navgraha Sadhana is very important for all upasakas. As Grahas, house our karma of many lifetimes, its important to shed them by giving atleast one seva in one lifetime.
Advanced upasaka can only do 10800 ahuti havan for each planet to get their kripa, and beginner upasakas should do complete 1,00,000 or 1,25,000 japa and then yagya, tarpana, marjana .
In case of doing full upasana, use other sadhana reference vidhis given elsewhere on the website under sadhana section.
नवग्रह साधना विस्तृत तालिका
ग्रह (Planet) | मंत्र | दिशा | वस्त्र रंग | आसन रंग | दान वस्तुएँ | आरंभ का दिन |
सूर्य (Sun) | ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः | पूर्व | लाल या भगवा | लाल | गेंहूँ, तांबा, गुड़, लाल वस्त्र | रविवार |
चंद्र (Moon) | ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः | उत्तर-पश्चिम | सफेद या चाँदी जैसा | सफेद | चावल, दूध, सफेद वस्त्र, चांदी | सोमवार |
मंगल (Mars) | ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः | दक्षिण | गाढ़ा लाल | लाल | मसूर, तांबा, लाल वस्त्र | मंगलवार |
बुध (Mercury) | ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः | उत्तर | हरा | हरा | मूँग, कांसा, हरा वस्त्र | बुधवार |
गुरु (Jupiter) | ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः | उत्तर-पूर्व | पीला या सुनहरा | पीला | चना दाल, हल्दी, पीला वस्त्र, पुस्तकें | गुरुवार |
शुक्र (Venus) | ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः | दक्षिण-पूर्व | सफेद या गुलाबी | सफेद | चीनी, चावल, सफेद वस्त्र, इत्र | शुक्रवार |
शनि (Saturn) | ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः | पश्चिम | काला या गहरा नीला | काला | काले तिल, सरसों का तेल, लोहा, काला वस्त्र | शनिवार |
राहु | ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः | दक्षिण-पश्चिम | नीला | नीला | काली उड़द, नारियल, नीला वस्त्र, सीसा | शनिवार |
केतु | ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः | दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम | ग्रे या नीला | ग्रे या कुशा रंग | कुशा, अश्वगंधा, केसर, दूर्वा | मंगलवार |
दीपक : घी + सरसों
शिखा बंधन
ॐ चिद्रूपिणि महामाये, दिव्यतेजः समन्विते।
तिष्ठ देवि शिखामध्ये, तेजोवृद्धिं कुरुष्व मे॥
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चंदन धारण
चंदनस्य महतपुण्यं पवित्रं पाप नाशनम |
आपदं हरति नित्यं लक्ष्मी तिष्ठति सर्वदा ||
कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं
सौभाग्यमतुलं बलम् ।
ददातु चन्दनं नित्यं
सततं धारयाम्यहम् ।।
——
गुरु पूजन
ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः, गुरुरेव महेश्वरः।
गुरुरेव परब्रह्म, तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
अखण्डमंडलाकारं, व्याप्तं येन चराचरम्।
तत्पदं दर्शितं येन, तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
ॐ श्रीगुरवे नमः, आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।
—–
सूर्य पूजन अनुमति
ॐ सूर्यदेव ! सहस्रांशो, तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर॥
ॐ सूर्याय नमः, आदित्याय नमः, भास्कराय नमः॥
—-
आसन शुद्धि
विनियोग :
ॐ पृथ्वीति मंत्रस्य मेरुपृष्ठ ऋषिः कूर्मो देवता सुतलं छन्दः आसने विनियोगः |
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि (देविं) त्वं विष्णुना धृता |
त्वां च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनं ||
ॐ पृथिव्ये नमः
ॐ गरुणेभ्यो नमः
ॐ अनंताय नमः
——
भैरव पूजन
ॐ तीक्ष्णदंष्ट्र महाकाय कल्पान्तदहनोपम |
भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुमर्हसि ||
——
गणेश ध्यान:
ॐ विध्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगतहिताय |
नागाननाय श्रुतियज्ञ विभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ||
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दिकबंधन
अपसर्पन्तु ते भूता ये भूता भूमिसंस्थिताः |
ये भूता विघ्नकर्तारः ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ||
ॐ भूर्भुवः स्वरों दिकबंधनम कुर्यात
||
शरीर रक्षा
जैसे ही आप यज्ञ आरंभ करेंगे, तुरंत निष्ट शक्तियां आपके यज्ञ का फल प्राप्त करने और आपके शरीर को हानि पहुंचाने आएंगे, उनसे रक्षा के लिए निम्न मंत्र को पहले एक लाख जप करके सिद्ध करें, फिर उपयोग करें
ॐ भ्रीं दुर्गे दुर्गे रक्षिणी स्वाहा,
3 बार मारकर शरीर पर फूंके
यह नारायणी दुर्गा का मंत्र है, और सभी शक्तियां केवल आपके बुलाए शक्ति के अतिरिक्त से आपकी रक्षा करेगी
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चंडी दिकबन्धन
ॐ बज्र महाचंडी बंध बंध दश दिशो निरूढय
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भैरव सर्व शक्ति दिकबंधन
ॐ सहस्त्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः ।
पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु ॥
पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा ।
आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः ॥
नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे ।
वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः ॥
भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा ।
संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः ॥
ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः ।
सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः ॥
रामदेवो वनान्ते च वने घोरस्तथावतु ।
जले तत्पुरुषः पातु स्थले ईशान एव च ॥
डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः ।
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ॥
पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः ।
मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा ॥
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा ।
वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा ॥
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संकल्प :
Ensure you have obtained today’s tithi, vaar etc from a hindu calendar.
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्य ________ (name of your city) नगरे, __________ (ancient Hindu name of your area/state) क्षेत्रे ____________ (nearest bank of river) तीर्थ क्षेत्रेे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : (2081)______________ (current vikram samvat year) , तमेऽब्दे (पिंगल)_________(sanskrit name of the year ) नाम संवत्सरे ……(उत्तरायणे – current Ayana as per panchang) … ग्रीष्म (current Ritu as per panchang) …. ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे … (चैत्र – current month as per panchang)…. मासे … (शुक्ल – current Paksh as per panchang)… पक्षे … (द्वितीया – current tithi as per panchang) ….. तिथौ (बुध – current day as per panchang)… …. वासरे ________ (your gotra) गोत्र उत्पन्नोऽहं __________ (your name) (शर्मा – for brahmins, Varma for Kshatriyas, Gupta for Vaishyas ) अहम ________ (full name of your wife) नाम्ने स्वपत्नी सह सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया-तंत्र श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थं …..श्री काल भैरव (name of Ishta) …… देवता प्रत्यक्ष सिद्धि प्राप्तयर्थम, …..श्री काल भैरव (name of ishta) … (सिद्धि for Sadhana or Kripa Prasad for Upasana) प्रत्पयर्थम, (प्रत्यक्ष – only for Sadhana, remove word for Upasana) कृपा प्रापत्यर्थम नारायण, शिव, श्री राम, हनुमान, गुरु सह ……श्री काल भैरव देवता (name of Ishta)…. पूजनं, यथा सामर्थ्य (एकादश – duration of sadhana in sanskrit, remove for upasana) दिवस मध्यमाम …..श्री बटुक भैरव (name of Ishta)…… मंत्रस्य एक लक्ष पंच विंशति: सहस्त्र (jaap count to be done) जपम.. तस्य हवनम तर्पणम मार्जनम .. तंत्रोक्त प्रत्यक्ष सिद्धि प्राप्त्यार्थम यथा मिलितोपचारे द्रव्यम् अहं करिष्ये।
तत्पूर्वागंत्वेन निर्विघ्नतापूर्वक कार्य सिद्धयर्थं गुरु प्रदत्त सिद्धिम प्राप्त्यार्थम यथामिलितोपचारे गणपति, ईष्ट विष्णु, गुरु शिव, गुरु श्री हनुमान, गुरु श्री हरसू ब्रह्म देव पूजनं अहम करिष्ये।
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विनियोगः
शास्त्रों में से ग्रह का विनियोग उपयोग करें
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।। ऋष्यादि-न्यास ।।
न्यास
।। कर-न्यास ।।
ॐ ह्रां अंगुष्ठाभ्यां नम:,
ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां स्वाहा,
ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां वषट्,
ॐ ह्रैं अनामिकाभ्यां हुम्,
ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां वौषट्,
ॐ ह्र: करतल-कर-पृष्ठाभ्यां फट्।
।। अङ्ग-न्यास ।।
ॐ ह्रां हृदयाय नम:,
ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा,
ॐ ह्रूं शिखायै वषट्,
ॐ ह्रैं कवचाय हुम्,
ॐ ह्रौं नेत्र-त्रयाय वौषट्,
ॐ ह्र: अस्त्राय फट्।
ॐ ह्रां नमः भ्रूमध्ये |
ॐ ह्रीं नमः कण्ठे |
ॐ ह्रूं नमः हृदये |
ॐ ह्रैं नमः नाभौ |
ॐ ह्रौं नमः लिङ्गे |
ॐ ह्र: नमः पादयोः |
ॐ ह्रां नमः सर्वाङ्गे |
ध्यानम्—
ग्रह का ध्यान मंत्र, स्तोत्र उपयोग करें
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ध्यान
Doing some mantra or stotra path of the Ishta being invoked is good.
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ॐ लं इंद्राय नमः
ॐ रं आग्नेये नमः
ॐ मं यमाय नमः
ॐ क्षम नैऋत्यए नमः
ॐ वं वरुणाय नमः
ॐ यं वायवे नमः
ॐ सं सोमाय नमः
ॐ हं इशानाय नमः
ॐ आं ब्रह्मणे नमः
ॐ ह्रीं अनंताय नमः
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कुल्लुका
ॐ हूं kshraum – सिर पर 10 बार
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सेतु
ह्रीं स्वाहा – कंठ पर 10 बार
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महो सेतु
स्त्रीम् – हृदय पर 10 बार
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दीपन
ईं ” (हं – enter mantra on which Sadhana is to be done here)” ईं – 7 बार दीप पर
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शाप उद्धार
use any one of below method to do shaap vimochana
1. क्रीम ह्रीं क्लीं ——–मंत्र ——- क्लीं ह्रीं क्रीं
2. ॐ ह्लीं क्लीं स्वाहा – 10 बार जप
3. ॐ ह्रीं बगले, रूद्रशापम विमोचय विमोचय ॐ ह्रीं स्वाहा – 10 बार
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मुख शोधन
ऐं ह्रीं ऐं – 10 बार
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मंत्र उत्कीलन
ॐ ह्रीं स्वाहा ” (भं बीज / ॐ भैरवाय नमः स्वाहा / ॐ भं भैरवाय नमः स्वाहा – enter the mantra to be chanted here) ” — 10 बार
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अंग आदि शुद्धिकरण
हृदय – क्रौं – 10 बार
नाक – हुं हुं – 10 बार
कान : ह्रीं ह्रीं – 2 बार ह्रीं 10-10 बार
मुह : ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं 5 बार
दोनों आँख : ह्रीं ह्रीं 10 10 बार
bhraum : हुं 10 बार
नाभि : ऐं क्लीं – 10 बार
लिंग : 10 बार हँसौ:
after this process your Sushumna naadi will start and Ida, Pingala will immediately get aligned. Do not get up from your asana after this process.
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मंत्र
मंत्र –
any one of below mantras can be used to do Sadhana of Ishta
1. भं
2. ॐ भैरवाय नमः स्वाहा
3. ॐ भं भैरवाय नमः स्वाहा
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ध्यान
Do dhyan of Hari, and submit yourself to him, as all roads in Maya lead only to him, and he is the ultimate goal of all sadhana, and even your Ishta too.
चन्द्रमा मनसो जाताश्चक्षो सूर्यो अजायत।
श्रोत्रांवायुश्च प्राणश्च मुखादग्निरजायत
इति परमब्रह्म परमात्मने नारायणाय नमः
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माला पूजनम
Considering you must already be using a susanskarit mala, if not leave this screen, and first get permission from your guru, who will also provide you mala to do sadhana.
Keep mala in Gaumukhi, and keep gaumukhi either in a taamba paatra, or on your baajot, first pour achamani water on the gaumukhi once, and then touch it while chanting below mantras
ॐ ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः |
ॐ ह्रीं सिद्धयै नमः |
ॐ मां माले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिणी |
चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव ||
शुभं कुरुष्व में भद्रे यशो वीर्यं च सर्वदा ||
ॐ अविघ्नं कुरुमाले त्वं गृह्णामि दक्षिणे करे ।
जपकाले च सिद्धयर्थं प्रसीद मम सिद्धये ।।
ॐ अक्षमालाधिपतये सुसिद्धिं देहि देहि सर्व मंत्रार्थ साधिनि साधय साधय सर्वसिद्धिं परिकल्पय परिकल्पय मे स्वाहा ।
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बीज मंत्र पूजन
Submit yourself to the service of the beeja which you will be using to call your Ishta
त्वं बीजं सर्वमंत्राणां त्वं माला सर्वदायिनी |
त्वं दाता सर्वसिद्धिनामेकाक्षर नमोस्तुते ||
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मुद्रा प्रदर्शन
There is no God in the entire cosmos who does not like Mudras. Learn these Mudras, and always show it to the Gods, as they are associated with Narayana upasana, so your sadhana fruits increase multifold by showing these mudras.
1. अभय मुद्रा
2. मत्स्य मुद्रा
3. शंख मुद्रा
4. योनि मुद्रा
==> After above is done, then do a short shiv puja with Namami Shamishan
रुद्रष्टकम
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्॥
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजे हं।।
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं। गिरा ग्यान गोतीतमीशं गिरीशं।
करालं महाकाल कालं कृपालं। गुणागार संसारपारं नतो हं।।
तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं। मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरं।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा। लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजंगा।।
चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालं।।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं। प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि।।
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं। अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम्।
त्रय: शूल निर्मूलनं शूलपाणिं। भजे हं भवानीपतिं भावगम्यं।।
कलातीत कल्याण कल्पांतकारी। सदासज्जनानन्ददाता पुरारी।
चिदानन्द संदोह मोहापहारी। प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी।।
न यावद् उमानाथ पादारविंदं। भजंतीह लोके परे वा नराणां।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं। प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं।।
न जानामि योगं जपं नैव पूजां। नतो हं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यं।
जराजन्म दु:खौघ तातप्यमानं। प्रभो पाहि आपन्न्मामीश शंभो।।
==> Next is Ganpati Poojan
Before doing Sadhana of any Ishta, you must already have done sadhana of Ganpati, multiple times. Vidhan for Ganpati Sadhana will be given elsewhere or can be obtained from Ashram.
We have to do Ganpati Atharvasheersha path in the process of our Sadhana.
This part can be skipped during upasana, as it is to get blessings of Goddess Siddhi who is wife of Lord Ganapati. Also this is main reason why Sadhana cannot be done by any non-brahmin due to not having adhikaar of veda mantra chanting.
“गणपती स्तोत्र अथर्वशीर्ष”
॥ शान्ति पाठ ॥
ओम गणेशाय नमः
ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवाः। भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः॥
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिः। व्यशेम देवहितं यदायुः॥
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः॥
स्वस्तिनस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥
ॐ शांतिः। शांतिः॥ शांतिः॥
गणपती स्तोत्र अथर्वशीर्ष – गणेश अथर्वशीर्ष
ॐ नमस्ते गणपतये।
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि॥
त्वमेव केवलं कर्त्ताऽसि।
त्वमेव केवलं धर्तासि॥
त्वमेव केवलं हर्ताऽसि।
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि॥
त्वं साक्षादत्मासि नित्यम् ।1।
ऋतं वच्मि॥ सत्यं वच्मि।2।
अव त्वं मां॥ अव वक्तारं॥
अव श्रोतारं। अवदातारं॥
अव धातारम अवानूचानमवशिष्यं॥
अव पश्चातात्॥ अवं पुरस्तात्॥
अवोत्तरातात्॥ अव दक्षिणात्तात्॥
अव चोर्ध्वात्तात॥ अवाधरात्तात॥
सर्वतो मां पाहिपाहि समंतात्॥3॥
त्वं वाङग्मयचस्त्वं चिन्मय।
त्वं वाङग्मयचस्त्वं ब्रह्ममय:॥
त्वं सच्चिदानंदा द्वितियोऽसि।
त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि।
त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि।4।
सर्व जगदिदं त्वत्तो जायते।
सर्व जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति।
सर्व जगदिदं त्वयि लयमेष्यति॥
सर्व जगदिदं त्वयि प्रत्येति॥
त्वं भूमिरापोनलोऽनिलो नभ:॥
त्वं चत्वारिवाक्पदानी॥5॥
त्वं गुणयत्रयातीत: त्वमवस्थात्रयातीत:।
त्वं देहत्रयातीत: त्वं कालत्रयातीत:।
त्वं मूलाधार स्थितोऽसि नित्यं।
त्वं शक्ति त्रयात्मक:॥
त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यम्।
त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं रुद्रस्त्वं इन्द्रस्त्वं अग्निस्त्वं।
वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चंद्रमास्त्वं ब्रह्मभूर्भुव: स्वरोम्॥6॥
गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरं॥
अनुस्वार: परतर:॥ अर्धेन्दुलसितं॥
तारेण ऋद्धं॥ एतत्तव मनुस्वरूपं॥
गकार: पूर्व रूपं अकारो मध्यरूपं।
अनुस्वारश्चान्त्य रूपं॥ बिन्दुरूत्तर रूपं॥
नाद: संधानं॥ संहिता संधि: सैषा गणेश विद्या॥
गणक ऋषि: निचृद्रायत्रीछंद:॥ गणपति देवता॥
ॐ गं गणपतये नम:॥7॥
एकदंताय विद्महे। वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नोदंती प्रचोद्यात॥
एकदंत चतुर्हस्तं पारामंकुशधारिणम्॥
रदं च वरदं च हस्तै र्विभ्राणं मूषक ध्वजम्॥
रक्तं लम्बोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम्॥
रक्त गंधाऽनुलिप्तागं रक्तपुष्पै सुपूजितम्॥8॥
भक्तानुकंपिन देवं जगत्कारणम्च्युतम्॥
आविर्भूतं च सृष्टयादौ प्रकृतै: पुरुषात्परम॥
एवं ध्यायति यो नित्यं स योगी योगिनांवर:॥ 9॥
नमो व्रातपतये नमो गणपतये॥ नम: प्रथमपत्तये॥
नमस्तेऽस्तु लंबोदारायैकदंताय विघ्ननाशिने शिव सुताय।
श्री वरदमूर्तये नमोनम:॥10॥
एतदथर्वशीर्ष योऽधीते॥ स: ब्रह्मभूयाय कल्पते॥
स सर्वविघ्नैर्न बाध्यते स सर्वत: सुख मेधते॥ 11॥
सायमधीयानो दिवसकृतं पापं नाशयति॥
प्रातरधीयानो रात्रिकृतं पापं नाशयति॥
सायं प्रात: प्रयुंजानो पापोद्भवति।
सर्वत्राधीयानोऽपविघ्नो भवति॥
धर्मार्थ काममोक्षं च विदंति॥12॥
इदमथर्वशीर्षम शिष्यायन देयम॥
यो यदि मोहाददास्यति स पापीयान भवति॥
सहस्त्रावर्तनात् यं यं काममधीते तं तमनेन साधयेत॥13 ॥
अनेन गणपतिमभिषिंचति स वाग्मी भवति॥
चतुर्थत्यां मनश्रन्न जपति स विद्यावान् भवति॥
इत्यर्थर्वण वाक्यं॥ ब्रह्माद्यारवरणं विद्यात् न विभेती कदाचनेति॥14॥
यो दूर्वां कुरैर्यजति स वैश्रवणोपमो भवति॥
यो लाजैर्यजति स यशोवान भवति॥ स: मेधावान भवति॥
यो मोदक सहस्त्रैण यजति।
स वांञ्छित फलम् वाप्नोति॥
य: साज्य समिभ्दर्भयजति, स सर्वं लभते स सर्वं लभते॥15॥
अष्टो ब्राह्मणानां सम्यग्राहयित्वा सूर्यवर्चस्वी भवति॥
सूर्य गृहे महानद्यां प्रतिभासंनिधौ वा जपत्वा सिद्ध मंत्रोन् भवति॥
महाविघ्नात्प्रमुच्यते॥ महादोषात्प्रमुच्यते॥ महापापात् प्रमुच्यते।
स सर्व विद्भवति स सर्वविद्भवति। य एवं वेद इत्युपनिषद॥16॥
॥ अर्थर्ववैदिय गणपत्युनिषदं समाप्त:॥
==> Next step is doing Shri Vishnu Sahastranaam Path
While in all other Sadhanas we do Vishnu Sahastranam Path, for Hanuman Sadhana, Shri Ram Sahastranam Path should be done keeping the Kodanda Ram – Shri Ram with a Dhanush Baan in your mind and heart, this pleases Shri Hanuman beyond all perception.
==> Importance of Graha Sadhana
Graha Sadhana opens marg for both physical realms as well as spiritual realms, as jeeva becomes free from their karma of 1000s of previous lifetimes.
Upasakas can do the Upasana as they deem fit or as ordered by their Guru/Brahmin.
==> Actual Jaap
Start Jaap as follows . Do one mala each of these mantras
- Om Namah Shivay
- Guru Mantra
- Om Namo Narayanay
- Om Gam Ganpataye Namah
- Om Bhram/Bham Bhairavaay Namah (whichever sadhana you may have done)
- One mala for all Gods whose Pratyaksha Siddhi you already have
and then chant Narayana naam a few times, and start with jaap.
complete the jaap as predecided by you.
Submitting the Jaap to Ishta
All Mantra have been keeled by Lord Shiva at the beginning of last Kaliyuga to stop their misuse. Therefore even though you are doing japa, you have to submit the jaapa to the Ishta, and then take it back from them as a kripa prasad through following Mantra
For Male Gods :
गुह्याति-गुह्य-गोप्त्री-त्वं
गृहाणास्मितकृतम् जपं।
सिद्धिर्भवतु मे प्रभु
त्वत्प्रसादान्मयि स्थिरा ||
For Female Goddesses:
गुह्याति-गुह्य-गोप्त्री-त्वं
गृहाणास्मितकृतम् जपं।
सिद्धिर्भवतु मे देवि
त्वत्प्रसादान्मयि स्थिरा ||
Kshama
For Ugra devtas like Bhairava, Kali, Mahavidyas, Hanuman Ji etc, asking Kshama is very important. As despite knowing everything that is to know Maya, we still do not know enough about the prakriti shaktis worshipped by us as a Hindu. So always consider yourself to be wrong, deficient and worthless for kripa of God
आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम्।
पूजां श्चैव न जानामि क्षम्यतां श्री भैरव॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं श्री भैरव ॥
यत्पूजितं मया प्रभु!
परिपूर्ण तदस्तु मे ||
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व श्री भैरव ।।
==> Offer Panchmeva prasad before leaving asana
==> Eat the Laung that was offered to your Ishta before starting Jaap
==> Then you should allow yourself a release.
==> Come back and offer Naivedya to Gods
You should do one rosary of the mantra at home at a very normal pace (not trying too hard), to know how much time it takes for you to do jaap of that mantra, one rosary.
Then decide how much time you want to give to jaap in a single day.
Divide that time with number of minutes it took for you to do one mala in usual circumstances.
Not unless you want to invite wrath of the Ishta that you are praying to.
You should neither leave your jaap midway for any reason (even if the world is falling down, and its on your own life).